धरमशाला के हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ स्टेडियम पर आयोजित होने वाला ODI विश्व कप 2023 का इंग्लैंड बनाम बांग्लादेश का मुकाबला न सिर्फ दो टीमों के बीच जीत-हार का सवाल है, बल्कि एक ऐसा पिच के खेल का भी है जो बल्लेबाजों को सहायता देता है, लेकिन तेज गेंदबाजों को भी अपनी जगह बनाता है। यह मैच 20 अक्टूबर, 2023 को खेला जा रहा है, और इसका निर्णय शायद बांग्लादेश के लिए इतिहास बनाने का मौका हो सकता है — क्योंकि वह अब तक विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ कभी जीत नहीं पाया है।
धरमशाला की पिच: बल्लेबाजों का आश्रय, तेज गेंदबाजों का सुपरहाइवे
हिमाचल की इस ऊंचाई (लगभग 1,450 मीटर) की भूमि पर गेंद जमीन से ज्यादा उछलती है और हवा के कम घनत्व के कारण तेजी से बल्लेबाज की ओर आती है। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के मुख्य पिच निर्माता राजेश कुमार (52) के अनुसार, पिच को तीन दिन तक रोल किया जाता है और हल्की बारिश के बाद भी यह जमीन बल्लेबाजों के लिए सुखी और तेज बनी रहती है। इस स्टेडियम पर अब तक 9 ODI मैच खेले गए हैं, जिनमें से 5 मैच दूसरे बल्लेबाजी करने वाली टीम ने जीते हैं। यह बात बहुत महत्वपूर्ण है — जब टीम चेज कर रही हो, तो उसे शुरुआती ओवर में तेज गेंदबाजों का सामना करना पड़ता है, लेकिन बाद में ड्यू का असर शुरू हो जाता है।
2023 विश्व कप के इस स्टेडियम पर खेले गए पिछले मैचों में अफगानिस्तान ने 156 रन बनाए थे, और बांग्लादेश ने उसे 6 विकेट से चेज कर लिया था। वहीं, ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड के खिलाफ 364 रन बनाए थे, लेकिन इंग्लैंड ने उसे चेज नहीं किया — यह दिखाता है कि यहां बड़े स्कोर आसानी से बन सकते हैं, लेकिन उन्हें पूरा करना अभी भी चुनौती है।
बल्लेबाजी और गेंदबाजी का अनुपात: तेज गेंदबाजों का पहला अवसर
इस पिच पर पावरप्ले के ओवर्स में तेज गेंदबाजों को सबसे ज्यादा मदद मिलती है। मार्क वुड (31), इंग्लैंड के तेज गेंदबाज, जिनकी गेंद 145 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती है, इस मैच में निर्णायक हो सकते हैं। वहीं, बांग्लादेश के लिए शाकिब अल हसन (36) एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने 300+ ODI विकेट लिए हैं — लेकिन यहां उनकी गेंदें जमीन पर ज्यादा उछलेंगी, जिससे उनकी बारी कठिन हो सकती है।
हालांकि, मैच के अंतिम 10 ओवर्स में बांग्लादेश के स्पिनर्स — मेहिदी हसन मिराज और नसुम अहमद — को बड़ा फायदा हो सकता है। विश्व कप के पिछले मैचों में यहां शेष विकेटों का 55% स्पिनर्स ने लिया है। यही कारण है कि बांग्लादेश को शुरुआत में तेज गेंदबाजों को बचाकर अंत में स्पिन का इस्तेमाल करना चाहिए।
टॉस और ड्यू: जीत का रहस्य
धरमशाला में शाम के मैचों में ड्यू का असर बहुत ज्यादा होता है। जब रात का तापमान गिरता है, तो ग्राउंड पर नमी जमा हो जाती है, जिससे गेंद जमीन पर नहीं, बल्कि हवा में लंबे समय तक रहती है। इसका मतलब है कि चेज करने वाली टीम के लिए बल्लेबाजी आसान हो जाती है। विश्व कप के इस स्टेडियम पर ऐसे मैचों में जहां टारगेट 250 से ज्यादा था, चेज करने वाली टीम ने 60% मैच जीते हैं।
इसलिए, जोस बटलर (33) के लिए टॉस जीतना बहुत महत्वपूर्ण होगा। अगर वह बल्लेबाजी शुरू करते हैं, तो उन्हें 270+ रन बनाने होंगे — जो इस पिच पर संभव है, लेकिन बांग्लादेश के लिए उसके बाद चेज करना आसान हो जाएगा। अगर वह गेंदबाजी करने का फैसला करते हैं, तो बांग्लादेश के लिए शुरुआती ओवर्स में तेज गेंदबाजों को रोकना होगा।
इतिहास और भावनाएं: बांग्लादेश का अभियान
बांग्लादेश ने अब तक विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ 5 मैच खेले हैं — उनमें से 4 इंग्लैंड ने जीते हैं और एक मैच बारिश के कारण रद्द हो गया था। लेकिन इस बार कुछ अलग हो सकता है। बांग्लादेश के खिलाड़ियों के लिए यह मैच सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि एक भावनात्मक बदलाव है। वह अब तक कभी विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ जीत नहीं पाए।
शाकिब अल हसन ने अपने करियर में इस तरह के दबाव को समझा है। उन्होंने 2019 के विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ एक अद्भुत बल्लेबाजी की थी, लेकिन टीम नहीं जीत पाई। अब वह न केवल बल्लेबाजी करेंगे, बल्कि टीम को नेतृत्व भी देंगे। उनके लिए यह मैच एक ऐसा अवसर है जिसे वह इतिहास बना सकते हैं।
क्या बदल गया है?
2013 में जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 321/7 बनाया था, तो यह इस स्टेडियम पर सबसे बड़ा स्कोर था। आज वह स्कोर लगभग औसत हो गया है। इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 364 रन बनाए थे — यह दिखाता है कि आधुनिक क्रिकेट में यहां का पिच अब और भी बल्लेबाजों के अनुकूल हो गया है। लेकिन अभी भी तेज गेंदबाजों को पहले 10 ओवर्स में ज्यादा मदद मिलती है।
ग्राउंड की सीमाएं भी अलग हैं — सीधी लाइन पर 70 मीटर, और मिड-विकेट पर 72 मीटर। यह छह छक्के लगाने को थोड़ा कठिन बनाता है, जिससे स्पिनर्स को भी थोड़ा फायदा मिलता है।
मैच का अंतिम निर्णय कौन लेगा?
इंग्लैंड के पास अधिक बल्लेबाजी की गहराई है — बटलर, ब्राउन, रॉस और ब्राउन। बांग्लादेश के पास शाकिब, लिटन दास, ताहमीम इकबाल और अली जाफर की बल्लेबाजी है। लेकिन जीत का रहस्य शायद गेंदबाजी में है। अगर वुड और लॉरी शुरुआत में दो-तीन विकेट ले लें, तो इंग्लैंड का रास्ता आसान हो जाएगा। लेकिन अगर शाकिब और मिराज अंतिम 10 ओवर्स में दो विकेट ले लें, तो बांग्लादेश का जीतना असंभव नहीं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
धरमशाला की पिच पर चेज करना आसान क्यों है?
धरमशाला में शाम के मैचों में ड्यू का असर बहुत ज्यादा होता है। नमी के कारण गेंद जमीन पर नहीं, बल्कि हवा में लंबे समय तक रहती है, जिससे बल्लेबाजों को गेंद का अच्छा रिस्पॉन्स मिलता है। विश्व कप में 250+ रन के टारगेट पर चेज करने वाली टीमों ने 60% मैच जीते हैं।
शाकिब अल हसन के लिए यह पिच क्यों चुनौतीपूर्ण है?
ऊंचाई के कारण गेंद जमीन से ज्यादा उछलती है, जिससे शाकिब की लेग स्पिन और ऑर्थोडॉक्स स्पिन का असर कम हो जाता है। उनकी गेंदें ज्यादा उछलकर बल्लेबाज के बल्ले के ऊपर चली जाती हैं। लेकिन अंतिम 10 ओवर्स में जब गेंद पुरानी हो जाती है, तो उनकी वापसी का असर बढ़ जाता है।
इंग्लैंड के लिए टॉस जीतना क्यों जरूरी है?
अगर इंग्लैंड टॉस जीतता है और बल्लेबाजी शुरू करता है, तो वह शुरुआती ओवर्स में तेज गेंदबाजों के खिलाफ अच्छा स्कोर बना सकता है। लेकिन अगर वह गेंदबाजी करता है, तो ड्यू के बाद चेज करना आसान हो जाता है। इसलिए टॉस जीतना रणनीति का आधार है।
क्या बांग्लादेश के पास इंग्लैंड के खिलाफ जीतने का कोई अवसर है?
हां। बांग्लादेश ने पिछले दो मैचों में बहुत मजबूत प्रदर्शन किया है — अफगानिस्तान के खिलाफ 6 विकेट से जीत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अच्छी बल्लेबाजी। अगर शाकिब और मिराज अंतिम 10 ओवर्स में विकेट लेते हैं और बल्लेबाज शुरुआत में तेज गेंदबाजों को नियंत्रित कर लेते हैं, तो यह इतिहास बदल सकता है।
इस पिच पर सबसे बड़ा स्कोर क्या है?
धरमशाला पर अब तक का सबसे बड़ा ODI स्कोर ऑस्ट्रेलिया ने 388/10 बनाया था, जबकि भारत ने सबसे कम 112/10 बनाया। विश्व कप में सबसे बड़ा स्कोर 321/7 है, जो भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2013 में बनाया था।
हिमाचल के पिच निर्माता राजेश कुमार की भूमिका क्या है?
राजेश कुमार 15 सालों से इस स्टेडियम के पिच की तैयारी कर रहे हैं। वे तीन दिन तक पिच को रोल करते हैं और हल्की बारिश के बाद भी इसे बल्लेबाजों के लिए तेज और स्थिर रखते हैं। उनकी नियंत्रण शक्ति इस बात को तय करती है कि पिच बल्लेबाजों के लिए ज्यादा या गेंदबाजों के लिए ज्यादा होगी।